पहले तो कभी नहीं सुना... अरेस्ट से पहले बेल पर सुप्रीम कोर्ट भी हैरान रह गया! जानिए मामला

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज मामले में अग्रिम जमानत देना बहुत गंभीर मामला है और ऐसा पहले कभी नहीं सुना गया। जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच पश्चिम बंगाल में एनडीप

4 1 11
Read Time5 Minute, 17 Second

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज मामले में अग्रिम जमानत देना बहुत गंभीर मामला है और ऐसा पहले कभी नहीं सुना गया। जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच पश्चिम बंगाल में एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज मामले में नियमित जमानत की मांग कर रहे एक आरोपी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार को दिया निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को यह विचार करने का निर्देश दिया कि क्या राज्य एक मामले में चार आरोपियों को दी गई अग्रिम जमानत को रद्द करने के लिए आवेदन दाखिल करना चाहता है। अदालत ने आरोपी की जमानत याचिका पर पश्चिम बंगाल राज्य को नोटिस जारी किया और मामले को चार सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

'गिरफ्तारी से पहले कैसे मिल गई जमानत?'

याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ को बताया कि मामले में छह आरोपियों में से चार को गिरफ्तारी से पहले जमानत दे दी गई थी जबकि उनमें से एक नियमित जमानत पर था। पीठ ने हैरानी जताते हुए पूछा, "एनडीपीएस मामले में अग्रिम जमानत?" पीठ ने कहा, "एनडीपीएस मामले में तो अग्रिम जमानत के बारे में सुना ही नहीं।" अदालत ने कहा, "हम (याचिका पर) नोटिस जारी कर सकते हैं और राज्य को सह-आरोपियों को दी गई अग्रिम जमानत रद्द करने के लिए आवेदन दाखिल करने का निर्देश दे सकते हैं।"

सुप्रीम कोर्ट ने जताई हैरानी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "एनडीपीएस मामले में अग्रिम जमानत देना बहुत गंभीर मामला है। इसलिए, हम राज्य को यह विचार करने का निर्देश देते हैं कि क्या वह सह-आरोपियों को दी गई अग्रिम जमानत को रद्द करने के लिए आवेदन दाखिल करना चाहता है।" इस याचिका में आरोपी ने कलकत्ता हाई कोर्ट के इस साल जुलाई के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें अक्टूबर 2023 में दर्ज मामले में नियमित जमानत की उसकी अर्जी खारिज कर दी गई थी।

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था, "एफएसएल भेजे गए सैंपल की जांच में पुष्टि हुई है कि याचिकाकर्ता के पास से जब्त की गई सामग्री प्रतिबंधित है।"अदालत ने कहा, "इतनी मात्रा में 'गांजा' शामिल होने और एनडीपीएस अधिनियम की धारा 37 में प्रतिबंधों को ध्यान में रखते हुए, हम इस स्तर पर याचिकाकर्ता को जमानत देने के इच्छुक नहीं हैं।"

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

एसिड कंडोम, सनग्लास केस बम... मिस्र में मोसाद का वह नाकाम ऑपरेशन, हुई थी अंतरराष्ट्रीय बेइज्जती

तेल अवीव: इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद के कारनामों की चर्चा आम बात है। मोसाद ने ऐसे-ऐसे ऑपरेशन किए हैं, जो अद्वितीय हैं। मोसाद ने विदेशों में इजरायल के दुश्मनों को ऐसा सबक सिखाया है, जिसे जान लोग हैरान हो जाते हैं। हाल में ही मोसाद ने लेबनान में

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now